Page 154 - RIVISTA NOIQUI GIUGNO 2021
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अवतार कोरोना                                गरम पवन,तपता गगन
                                                            रोती कांपती धरा,
                वेद कहते मानव तू है सर्वोत्तम               नभ भी आंसू बहाते,
                देह तेरी दिव्य अनुपम,मन अति मनोरम,          जल नहीं,अंगारे बरसाते,
                देवता भी तरसते पाने तेरा जनम,               दहकते बन,जलते कंगारू कहते,
                तेरी दक्षता तेरी बुद्धि है,                 हे मनुष्य,मनुष्य बन।
                पर क्या आत्मा तेरी मर गयी है?
                हे मनुष्य,मनुष्य बन।                        कोरोना कहता बस अब और करो ना,
                                                            कर लिए जितने थे दैत्य करम,
                गिरने की तूने सभी सीमाए लाँघी,              धरती माँ को दोगे और कितने ज़ख़्म?
                प्रकृति ने दिए तुझे खाने को नवरतन           बहुत हुआ तांडव मनुष्य का,
                पर पड़ गए शायद वो सारे कम ,                 इन मूक पशु,पक्षी,जलचरों का,
                तेरी ज़ुबान की ऐसी भी क्या लाचारी           आया दूत बन कर अवतार कोरोना,
                मर गयी ग़ाय,बकरी,मुर्गी,मछली,बतख            कहे मानव बस अब संभल,कर करुणा,
                सारी,                                       बदल स्वयं को,अपना ले स्वधर्म,
                चमगादड़,साँप,छिपकली,चूहे तक,                कर प्रायश्चित,तज अहं,
                तूने खा डाले,                               देख मुझमें है वो दम,
                तू असुर,दानव है या नर?                      भय,मृत्यु सेकर रहा तेरी नस्ल खतम,
                नहीं छोड़ा तूने बानर तक का सर               अपना ले दया, प्यार, मैत्रेय,करुणा
                कर रही रुदन प्रकृति,                        कर प्रेममयी नयी दुनिया का सृजन,
                रख हाथ सर पे धर,                            कर नयी दुनिया का सृजन ।
                हे मनुष्य,मनुष्य बन।
                                                            ‘कविता गुप्ता’
                सरकते पर्वत,चटकती चट्टानें,                 भुवनेश्वर, ओड़िशा
                टूटते वृक्ष,कहीं बाढ़,कहीं सूखती नदियाँ, भारत
                ज़हरीले समंदर,कड़कतीं बिजलियाँ
                प्रदूषित जल,बढ़ता पारा,






                AVATAR CORONA

                I Veda dicono che tu sei il migliore umano
                Il tuo corpo è divinamente unico, la mente è molto bella,
                Anche la tua nascita per ottenere gli dei bramano,
                La tua abilità è la tua intelligenza,
                Ma la tua anima è morta?
                O uomo, diventa un uomo.


                Hai superato tutti i limiti della caduta,
                La natura ti ha dato Navratan da mangiare
                Ma forse sono caduti tutti a corto,
                Qual è l'impotenza della tua lingua?
                Mucca morta, capra, pollo, pesce, tutti anatra,
                pipistrelli, serpenti, lucertole, ratti,
                tu hai mangiato



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               periodico mensile del gruppo NOIQUI
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